à¤à¤¾à¤¦à¥à¤°à¤ªà¤¦ कृषà¥à¤£ अषà¥à¤Ÿà¤®à¥€ को पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वरà¥à¤· शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ जनà¥à¤®à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¤®à¥€ का महोतà¥à¤¸à¤µ मनाया जाता है। यह उतà¥à¤¸à¤µ न केवल à¤à¤¾à¤°à¤¤, वरनॠविशà¥à¤µ के कई देशों में आयोजित होता है। इस दिन अरà¥à¤§à¤°à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾à¤² में à¤à¤—वानॠशà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ अपने पूरà¥à¤£ अवतार में पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ हà¥à¤ थे, जिसका पà¥à¤°à¤®à¥à¤– उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ जगतॠमें अधरà¥à¤® का नाश करना और धरà¥à¤® की रकà¥à¤·à¤¾ करना था।
à¤à¤¾à¤°à¤¤ में शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ जनà¥à¤®à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¤®à¥€ मà¥à¤–à¥à¤¯ रूप से मथà¥à¤°à¤¾, वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ à¤à¤µà¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤•à¤¾ में मनाई जाती है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मथà¥à¤°à¤¾ à¤à¤—वानॠशà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ की जनà¥à¤®à¤à¥‚मि है। वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कई लीलाà¤à¤ की थीं और दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤•à¤¾ उनकी नगरी है। इसके अतिरिकà¥à¤¤ à¤à¥€ यह उतà¥à¤¸à¤µ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के लगà¤à¤— सà¤à¥€ राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में आयोजित होता है। महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° में शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ जनà¥à¤®à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¤®à¥€ को दही हाà¤à¤¡à¥€ को ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ पर लगाकर मानव पिरामिड बनाकर उसे तोड़ने का रिवाज है। इसके लिठकई वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ अलग-अलग समूह में दही हाà¤à¤¡à¥€ तोड़ने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करते हैं। इस दौरान à¤à¤—वानॠशà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ के गोविनà¥à¤¦ रूप की जय-जयकार होती है। यह उतà¥à¤¸à¤µ à¤à¤—वानॠशà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ की बाललीलाओं से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ है।
मणिपà¥à¤° राजà¥à¤¯ में जनà¥à¤®à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¤®à¥€ का उतà¥à¤¸à¤µ बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ है। इमà¥à¤«à¤¾à¤² में à¤à¤—वानॠशà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ के दो मनà¥à¤¦à¤¿à¤° हैं। जनà¥à¤®à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¤®à¥€ के दिन धूमधाम से वहाठकृषà¥à¤£ उतà¥à¤¸à¤µ मनाया जाता है। दकà¥à¤·à¤¿à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में à¤à¥€ जनà¥à¤®à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¤®à¥€ के दिन कृषà¥à¤£ उतà¥à¤¸à¤µ मनाने की परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ है। करà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤• में मधà¥à¤µà¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ विशेष उतà¥à¤¸à¤µ मनाया जाता है। इस दिन घर पर ही विशेष पकà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¨ चकली, अवलकà¥à¤•à¥€, बेलेडा आदि बनाठजाते हैं। à¤à¤¸à¤¾ माना जाता है कि सà¥à¤¦à¤¾à¤®à¤¾ ने यही पकà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¨ à¤à¤—वानॠशà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ को खिलाठथे। तमिलनाडॠमें वैषà¥à¤£à¤µ अयंगर बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इस अहोरातà¥à¤° à¤à¤—वानॠशà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ के निमितà¥à¤¤ उपवास रखा जाता है और à¤à¤—वानॠशà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ के विगà¥à¤°à¤¹ को विशेष शà¥à¤°à¥ƒà¤‚गार करवाकर उनकी उपासना की जाती है।
जमà¥à¤®à¥‚ में इ​स दिन पतंग उड़ाकर उतà¥à¤¸à¤µ मनाने का रिवाज है। पूरà¥à¤µà¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में जगनà¥à¤¨à¤¾à¤¥ पà¥à¤°à¥€ में इस दिन विशेष उतà¥à¤¸à¤µ आयोजित होता है। मधà¥à¤¯à¤°à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¿ में à¤à¤—वानॠशà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ की विशेष पूजा-उपासना की जाती है। उनके à¤à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ को à¤à¤•à¥à¤¤ लोग उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ से गाते हैं। इसके अगले दिन वहाठननà¥à¤¦ उतà¥à¤¸à¤µ मनाया जाता है। शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ अगले दिन ही अपना उपवास खोलते हैं। जगनà¥à¤¨à¤¾à¤¥ पà¥à¤°à¥€ के समान ही पशà¥à¤šà¤¿à¤® बंगाल में à¤à¥€ शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ जनà¥à¤®à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¤®à¥€ का उतà¥à¤¸à¤µ मनाते हैं।
इसà¥à¤•à¥‰à¤¨ ने देश-विदेश में शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ के मनà¥à¤¦à¤¿à¤° सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किठहैं। इन मनà¥à¤¦à¤¿à¤°à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ जनà¥à¤®à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¤®à¥€ का परà¥à¤µ बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
à¤à¤—वानॠविषà¥à¤£à¥ के दस अवतारों में शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ ही à¤à¤¸à¥‡ अवतार हैं, जिनकी जयनà¥à¤¤à¥€ इतनी धूमधाम से à¤à¤¾à¤°à¤¤ सहित अनेक सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर मनाई जाती है।