Aarti Mata Chintapurni - Morning & Evening Aarti With Lyrics

चिन्तपूर्णी माता की आरती (श्री छिन्न-मस्तिकाय: नम: )

जय चिन्तपूर्णी माता, चिन्ता हरो माता।
जीवन में सुख दे दो, कष्ट हरो माता ।। 1 ।।

उच्चा पर्वत तेरा झण्डे झूल रहे।
करें आरती सारे, मन में फूल रहे ।। 2 ।।

सती के शुभ चरणों पर, मन्दिर है भारी।
छिन्न मस्तिका कहते, सारे संसारी ।। 3 ।।

माईंदास एक ब्राह्मण, स्वप्न दरस दिए।
पूजा पिण्डी ध्यान कर, आनन्द भाव किए ।। 4 ।।

बरगद पेड़ है दर पे, सुख भण्डार भरे।
घण्टे धन-धन बजे, जय जय कार करें ।। 5 ।।

कन्या गाती दर पे, मधुर स्वरों में जब।
जिनको सुन के, चिन्ता, मन की हटे माँ तब ।। 6 ।।

पान सुपारी ध्वजा नारियल, छत्रा चुन्नी संग में।
चन्दन इत्रा गुलाब जल, भेंट चढ़े अंग में ।। 7 ।।

चिन्तित जीवन की माँ, तुम हो रखवाली।
सेवक आरती करता, कर में लिए थाली ।। 8 ।।
Jai Chintpurni Mata, Chinta Haro Mata ।
Jeevan Mein Sukh De Do, Kasht Haro Mata ।। 1 ।।

Uuncha Parvat Tera, Jhande Jhool Rahe ।
Karein Aarti Saare, Mann Mein Phool Rahe ।। 2 ।।

Sati Ke Shubh Charnon Par, Mandir Hai Bhaari ।
Chinnmastika Kehte, Saare Sansaari ।। 3 ।।

Maaidaas Ek Brahman, Swapan Mein Daras Diye ।
Pooja Pindi Dhyaan Kar, Aanand Bhaav Kiye ।। 4 ।।

Bargad Ped Hai Dar Par, Shukh Bhandaar Bhare ।
Ghante Ghan Ghan Baaje, Jai Jai Kaar Karein ।। 5 ।।

Kanya Gaati Dar Pe, Madhur Swaron Mein Jab ।
Jinko Sun Ke, Chinta, Mann Ki Hate Maa Sab ।। 6 ।।

Paan Supari Dhwaja Nariyal, Chattr Chunni Sang Mein ।
Chandan Ittr Gulaab Jal, Bheint Chadhe Ang Mein ।। 7 ।।

Chintit Jeevan Ki Maa, Tum Ho Rakhvaali ।
Sevak Aarti Karta, Kar Mein, Liye Thaali ।। 8 ।।
   
प्रात: काल की आरती
ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
मैया जय मंगल करणी, मैया जय आनन्द करणी।
तुम को निश दिन ध्यावत, ​हरि ब्रह्मा शिवजी। ॐ जय. ।। 1 ।।

माँग सिन्दुर विराजत टीको मृगमद को, मैया टीको.... अज्जवल से
दोऊ नैना चन्दवदन नीको। ॐ जय. ।। 2 ।।

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर, राजे। मैया रक्ता....
रक्त पुष्प गल माला कण्ठन पर साजे। ॐ जय. ।। 3 ।।

केहरी वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी। मैया खड्ग..
सुर-नर मुनिजन सेवत, तिन के दु:ख हारी। ॐ जय. ।। 4 ।।

कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती। मैया नासाग्रे....
कोटिक चन्द्र दिवाकर, राजत सम ज्योति। ॐ जय. ।। 5 ।।

शुम्भ नि:शुम्भ विदारे महिषासुर घाती। मैया महिषासुर..
धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती। ॐ जय. ।। 6 ।।

चण्ड मुण्ड संहारे शोणित बीज हरे। मैया शोणित....।
मधु कैटभ दोऊ मारे, सुर भयहीन करे। ॐ जय. ।। 7 ।।

ब्रह्माणी रूद्राणी, तुम कमला रानी। मैया तुम..........।
आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी। ॐ जय. ।। 8 ।।

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भेरों। मैया नृत्य.।
बाजत ताल मृदंगा और बाजत डमरू। ॐ जय. ।। 9 ।।

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भर्त्ता। मैया तुम........। भक्तन की
दु:ख हरता सुख सम्पत्ति करता। ॐ जय. ।। 10 ।।

भुजा चार ​अति शोभित वर मुद्रा धारी। मैया वर........।
मन व​​ञिछत  फल पावत सेवत नर नारी। ॐ जय. ।। 11 ।।

कञचन  थाल विराजत, अग्र कपूर बाती। मैया अग्र........।
श्री माल केतू में राजत, कोटि रत्न ज्योति। ॐ जय. ।। 12 ।।

भक्ति भाव कर जोरें, सन्तन गुण गाता। मैया सन्तन.....। सुन्दर
श्यामा गौरी त्रिलोकी माता। ॐ जय. ।। 13 ।।

श्री अम्बे जी की आरती जो कोई नर गावे। मैया जो.........। कहत
शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे। ॐ जय. ।। 14 ।।

ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुम को निश दिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवजी।
सांयकाल काल की आरती
जग जननी जय जय माँ, जग जननी जय जय।
भय हारिणी भव तारिणी भव भामिणी जय जय।। ।। जग जननी । 1 ।

तू ही यतचित सुखमय, शुद्ध ब्रह्म रूपा माँ।
सत्य सनातन सुन्दर, पर-शिवं-सुर-भूपा माँ। ।। जग जननी । 2 ।

आदि अनादि अनामय अविचल अविनाशी।
अमल अनन्त अग अज आनन्द राशी माँ।। ।। जग जननी । 3 ।

अविकारी अघहारी, अकल कालाधारी माँ।
कर्त्ता विधि भर्त्ता हरि हर संहारकारी माँ।। ।। जग जननी । 4 ।

तू विधि वधू, रमा, तू उमा महामाया माँ।
मूल प्रऔति विद्या तू, तू जननी जाया माँ।। ।। जग जननी । 5 ।

राम, औष्ण तू सीता, ब्रज रानी राधा माँ।
तू वाञछा कल्प द्रुम, हारिणी सब बाधा माँ।। ।। जग जननी । 6 ।

दश विद्या नव दुर्गा, नाना शास्त्रा करा माँ।
अष्ट मातृका योगिनी, नव नव रूप धरा माँ।। ।। जग जननी । 7 ।

तू पर धाम निवासिनी महा विलासिनी तू माँ।
तू ही शमशान विहारिणी ताण्डव लासिनी तू माँ।। ।। जग जननी । 8 ।

सुर मुनि मोहिन सोभ्या, तू शोभा धारा माँ।
विवसन विकट स्वरूपा, प्रलय मयी धारा माँ।। ।। जग जननी । 9 ।

तू ही स्नेह सुधामयी, तू अति गरल मना माँ।
रत्न विभूषित तू ही, तू ही अस्थि तना माँ।। ।। जग जननी । 10।

मूलाधार निवासिनी इह पर सिद्धिपदे माँ।
कालाऽतीता काली, कमला तू वर दे माँ।। ।। जग जननी । 11 ।

शक्ति शक्तिधर तू ही, नित्य अभेदमयी माँ।
भेद प्रदर्शिनी वाणी, विमले वेदत्रायी माँ।। ।। जग जननी । 12 ।

हम अति दीन दु:खी मां विपत जाल घेरे माँ।
है कपूत अति कपटी पर बालक तेरे माँ।। ।। जग जननी । 13 ।

निज स्वभाव वंश जननी, दया दृष्टि कीजे माँ।
​करूणा कर करूणामयी, चरण चरण दीजे माँ।। ।। जग जननी । 14 ।

जग जननी जय मां जग जननी जय जय।
भय हारिणी भव तारिणी भव भामिणी जय जय माँ।।